चमकौर की गढ़ी का युद्ध देश भक्ति बनाम गद्दारी की परिभाषा स्वयं लिख गया
सड़कों पर संघर्ष कर रहे सिख या हुक्मरान
आज ये सवाल देश के इतिहासकारों खासकर आर एस एस या उस की भाजपा सरकार से पूछा जाता है कि देश भक्त की परिभाषा क्या है ?
*तथाकथित देश भक्त उर्फ अंध भक्त जिन्होंने मुगलों का समर्थन किया या सिख सूरमे जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करने के लिए कड़ा संघर्ष ही नहीं किया बल्कि मुगलिया सल्तनत का तख्त हिलाते हुए शहादत का जाम भी पी गए ?
यहाँ हैं कुछ आश्चर्यजनक इतिहासक तथ्य...............
चामकौर की लड़ाई में गुरु गोबिंद सिंह की अगुवाई में मुगल साम्राज्य विरुद्ध लड़ने वाले 40 सिखों के साथ लड़ने वाले गद्दार सैनिक कौन थे?
जिन्होंने मुगलों का साथ दिया वो थी बाई धार के हिंदू राजाओं की सेना:
1. राजा काहिलूर की सेना
2. राजा कसौली की सेना,
3. राजा बदायूँ की सेना,
4. राजा नाहन की सेना,
5. राजा चंबा की सेना,
6. राजा भाम्बोर की सेना,
7. राजा चमोली की सेना,
8. राजा जम्मू की सेना,
9. राजा नूरपुर की सेना,
10. राजा जसवाल की सेना,
11. राजा श्रीनगर की सेना,
12. राजा गढ़वाल की सेना,
13. राजा हिंडौर की सेना,
14. राजा मंडी की सेना,
15. राजा बड़ोली की सेना,
16. राजा कांगड़ा की सेना,
17. राजा नादौन की सेना,
18. राजा भीम चंद की सेना,
राजा भीम चंद इन बाई धार के हिन्दू राजाओं की सेनाओं का नेतृत्व कर रहा था । ये वही राजा भीम चंद था जिनके दादा राजा तारा चंद को सिखों के छटे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद ने ग्वालियर के किले से मुगल शासक जहांगीर की कैद से मुक्त कराया था। श्री गुरु गोबिंद सिंह के दादा श्री हरगोबिंद साहिब जी एक तरफ भीम चंद के दादा तारा चंद को आजादी दिलाते हैं और वहीं दूसरी तरफ उस का पोता भीम चंद मुगलों के साथ मिल कर मुगल साम्राज्य की जड़ों को मजबूत करते हुए आज़ादी दाता (बंदी छोड़ गुरु श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब) के पोते श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को मारने के लिए भारत मां के साथ गद्दारी कर रहा था ।
मुगलों और मुस्लिम जनरलों की सेना, नवाब:
1. सरहिंद प्रांत की सेना,
2. मुल्तान प्रांत की सेना,
3. पेशावर प्रांत की सेना,
4. नवाब मलेरकोटला की सेना,
5. लाहौर राज्य की सेना,
6. कश्मीर राज्य की सेना,
7. जनरल नाहर खान की सेना,
8. जनरल गनी खान की सेना,
9. जनरल मियां खान की सेना,
10. जनरल माजिद खान की सेना,
11. जनरल भूरे खान की सेना,
12. जनरल जालिम खान की सेना,
13. जनरल ख्वाजा-अली-मरदूद खान की सेना,
तथा लाखों सैनिक एक तरफ।
चामकौर का क्षेत्र जनरलों से भरा हुआ था
और दूसरी तरफ गुरु गोबिंद सिंह जी के नेतृत्व में केवल 40 सिख कई दिनों तक मैदान-ए-जंग में लड़े ।
इसी युद्ध में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों बड़े पुत्र बाबा अजीत सिंह जी और बाबा जुझार सिंह जी भी इन जुझारू योद्धाओं के साथ मैदान-ए-जंग में वीर गति को प्राप्त हो गए जबकि गुरु गोबिंद सिंह जी साफ तौर पर बच निकलने में सफल रहे । आज, उन्हीं बाई धार के हिंदू राजाओं के कई वंशज तथाकथित देशभक्त बनकर राजगद्दी पर बैठे हैं, जबकि उन लोगों के वंशज जो अत्याचारी मुगल साम्राज्य (जो हिन्दूओं का सर्व नाश करने पर आमदा था) के खिलाफ लड़े, के वंशज भारत की सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं।
इतिहासकारों खासकर आर एस एस के प्रमुख मोहन भागवत तथा संवय सेवकों को यह तय करना और देश भक्ति की सही परिभाषा लिखनी चाहिए कि भारत माता के असली देश भक्त पुत्र कौन हैं और तथाकथित देशभक्त या देशद्रोही या अंध भक्त या गद्दार कौन हैं ?